Thursday, August 11, 2011

मैं आऊंगा....



मुझे तो आदत सी हो गयी है दर्द सहने कि,

लेकिन तेरी ख़ामोशी का दर्द ना सह पाउँगा !

नसीब में कौन है ? ये तो वक्त ही बताएगा,
मिल गई तो ठीक वर्ना गीत जुदाई का गाऊंगा !

तुझसे मिलना है बाकि इस ख़ुशी पे जिन्दा हूँ,
ग़र मुझसे जुदा हो गयी तू सच में मर जाऊंगा !

तुझसे दूर हूँ ये सोच के ना घबराना,
मर भी गया तो मिलने तुझसे मैं आऊंगा !

2 comments:

  1. तुझसे दूर हूँ ये सोच के ना घबराना,
    मर भी गया तो मिलने तुझसे मैं आऊंगा !
    .............ला-जवाब" जबर्दस्त!!

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  2. कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-

    संजय भास्कर
    आदत….मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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