Wednesday, September 21, 2011

नजर-नजर


नजर-नजर हवा चली,
टपक रहा है रस !
एक दिल की क्या बात है,
मिलेंगे तुझको दस !
ज्यादा लिखने की आदत नहीं,
ये भी है सच !
हसो खुलके साथ हमारे,
अरमान यही है बस !

1 comment:

  1. यह तस्वीर जो आपने लगायी है, मुझे बड़ी प्यारी है....असीम.. एहसास में भींगी है आपकी कविता.....लास्ट की चार लाईन्स जबरदस्त है....!

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