Friday, September 30, 2011

आईना : "मैं हूँ तेरा सच्चा हमदर्द"


जब तू रोती है, तो मैं भी रोता हूँ,
जब तू हंसती है, तो मैं भी हँसता हूँ
जब उदास होती है, तो मैं भी उदास हो जाता हूँ
जब मेरे पास दिखती हो, तो मैं साथ हो जाता हूँ
जब दूर तुम जाती हो, तो तन्हा हो जाता हूँ
जब तरह-तरह के श्रृंगार करती हो, तो मैं भी संवर जाता हूँ

Thursday, September 29, 2011

.....तुम्हे तो इश्क है.....


तुम्हे तो इश्क है, मुझे भी इश्क है

इश्क तो इश्क है, सभी को इश्क है

इश्क खुदा से है तो इबादत है

इश्क मनुष्य से है तो इंसानियत है

इश्क माँ से है तो सेवा है

इश्क बाप से है तो आज्ञा है

इश्क बहन से है तो जिम्मेदारी है

इश्क भाई से है तो हिम्मातदारी है

इश्क पडोसी से है तो खिदमतगारी है

इश्क तुमसे है तो तीमारदारी है... ?

इश्क मुझसे है तो बीमारी है ...?

Wednesday, September 28, 2011

क्या है इश्क...?


इश्क दरिया है,
तो मैं डूब जाना चाहूँगा
इश्क जंग है,
तो मैं लड़ना चाहूँगा
इश्क इबादत है,
तो मैं सजदा करना चाहूँगा
इश्क ज़हर है,
तो मैंने पीना चाहूँगा
इश्क आग है,
तो मैं जल जाना चाहूँगा
इश्क जुदाई है
तो मैं तन्हा होना चाहूँगा
इश्क जुर्म है
तो मैं अपराधी बनना चाहूँगा
इश्क वफ़ा है
तो मैं निभाना चाहूँगा
इश्क जिंदगी है,
तो मैं जीना चाहूँगा
इश्क ग़र "मौत" है,
तो भी मैं तुझे पाना चाहूँगा

Wednesday, September 21, 2011

नजर-नजर


नजर-नजर हवा चली,
टपक रहा है रस !
एक दिल की क्या बात है,
मिलेंगे तुझको दस !
ज्यादा लिखने की आदत नहीं,
ये भी है सच !
हसो खुलके साथ हमारे,
अरमान यही है बस !

" कोई मुसाफिर "

चाँद आज क्यूँ मायूस है,
सितारे क्यूँ खामोश है !
चल रही पवन धीमे-धीमे क्यूँ,
कैसा ये अहसास है !
दूर ठहरा है कोई मुसाफिर,
परदेशी अनजाना है !
क्या जादू है उसमे,
दिल ने क्यूँ उसको अपना माना है !