असमंजस में फिजायें हैं, हवायें असमंजस में हैं
असमंजस में वफायें है, ज़फायें असमंजस में है
असमंजस में है प्यार, असमंजस में है इन्तिज़ार
असमंजस में है अधिकार, प्रतिकार असमंजस में है
असमंजस में तन्हाई है, मन में क्यूँ असमंजस समाई है
असमंजस में बंदगी है, जिंदगी असमंजस में है
असमंजस में दोस्ताना है, असमंजस ये शायराना है
असमंजस में याराना है, असमंजस ये पुराना है,
असमंजस में अपने हैं, असमंजस में पराये हैं
असमंजस में असमंजस है, असमंजस में सारा ज़माना है
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किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी
Deleteकविता आपको पसंद आई आगे भी आपको पसंद आये ऐसा प्रयास जारी रहेगा
रचना बहुत अच्छी है..
ReplyDeleteपर इतनी असमंजसता क्यों...
रीना जी, नमस्कार
Deleteरचना आपको पसंद आई, शुक्रिया
मैं असमंजस में नहीं हूँ , ये कविता मात्र है जब कोई भ्रम और दुविधा की स्थिति में हो तो ऐसा ख्याल मन में उत्पन्न होते हैं मैंने बस उन भावों को व्यक्त किया है, मेरे एक मित्र की भावना को मैंने कविता के माध्यम से व्यक्त करने का प्रयास किया है
धन्यवाद एवं सदर आभार
असमंजस में दोस्ताना है, असमंजस ये शायराना है
ReplyDeleteअसमंजस में याराना है, असमंजस ये पुराना है,
भाई वाह....असमंजस शब्द से चमत्कार कर दिखाया है आपने...बधाई
नीरज
नीरज जी, ॐ नमो नारायण
Deleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है कविता आपको अच्छी लगी, आपके कमेन्ट पढ़कर उत्साह बढ़ा है ..धन्यवाद
ReplyDeleteअसमंजस में अपने हैं, असमंजस में पराये हैं
असमंजस में असमंजस है, असमंजस में सारा ज़माना है
बेहतरीन रचना .....शब्दों का खूबसूरत इस्तेमाल ....