दर्द में नशा है,
दर्द में मज़ा है
दर्द में सज़ा है,
दर्द में वफ़ा है
दर्द में रज़ा है,
दर्द से खफा है
दर्द ये रंगीन है,
दर्द ये संगीन है
दर्द में गमगीन है,
दर्द मंजीत है
दर्द संजीत है,
दर्द से रंजीत है
दर्द ये गुंजित है,
दर्द में बेदर्द है
दर्द में क्यूँ मर्द है,
दर्द ये सर्द है
दर्द में सत्य है,
दर्द का ये मत्य है
मुकेश गिरि गोस्वामी हृदयगाथा : मन की बातें...