Saturday, September 29, 2012

सितमगर बन जाओ तो हक़ है तुमको...


तुझे भूल पाना मुमकिन नहीं,
तुम भूल जाओ तो हक़ है तुमको!
जुदाई की कल्पना भी संभव नहीं मेरे लिए,
तुम छोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मैंने सांसो में बसा लिया है,
मेरी सांसों को तोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
नैनों में बस गए हो अब तो,
निगाहें चुरा जाओ तो हक़ है तुमको!
मिलने की हसरत है तुमसे,
जुदा हो जाओ तो हक़ है तुमको!
दिल की धडकन बन गई हो,
धडकनों को तोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मिलता सुकून तुमसे है,
तडपता छोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मैंने तो मुहब्बत की है,
सितमगर बन जाओ तो हक़ है तुमको!

मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा : मन की बातें

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (01-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. कमल जी नमस्कार ,
      संभवतः आप प्रथम बार मेरे ब्लॉग में आये हैं .. आशा करता हूँ ये क्रम जारी रहेगा ... रचना आपको अच्छी लगी जिसके लिए आभार व धन्यवाद

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  3. mubarak ho mukesh ji.meri taraf se aage ...."दिल तो पहले ही दे चुके तुमको,जान भी आज मांग लो... हक है तुमको "

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    1. अजय जी ॐ नमो नारायण
      यहाँ आने के लिए धन्यवाद ,,, आपके वक्तव्य की आवश्यकता सदैव रहेगी

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  4. तुम अगर भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको ,

    मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है .

    तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको, मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है .

    बढ़िया अश - आर है आपके सभी .

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    1. नमस्कार
      सादर धन्यवाद एवं आभार !!!

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  6. उसे हक है भूल जाने का
    याद रखने का हक मुझे है
    अपने अपने हक लिये बैठे हैं
    ना उसे शक है ना मुझे शक है !

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    1. सुशील जी नमस्कार
      हृदयगाथा : मन की बातें में आपका सादर स्वागत है
      आप निरंतर हृदयगाथा के पृष्ट पर यात्रा करते रहेंगे इसी आशा और विश्वास के साथ... धन्यवाद

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  7. Replies
    1. तृप्ति जी नमस्कार
      हृदयगाथा के पृष्ट पर आपका कोटि कोटि स्वागत है...
      आभार, सधन्यवाद

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  8. badhiya ...bas muhabbat karne vale hi ye kh sakte hain...

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    1. शारदा जी नमस्कार
      आपके प्रथम आगमन पर कोटि कोटि स्वागत है...
      आपके कथन मेरे लिए अनमोल हैं
      सादर धन्यवाद

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