Thursday, August 16, 2012

ये खुदा .....



ये खुदा तू बता,
मेरी परेशानियों का सबब क्या है ?
मुझे तेरी रहमत,
हासिल ना हुई वजह क्या है ?
मेरी इबादत हुआ बेअसर,
बता तेरी रज़ा क्या है ?
गर मैं हूँ तेरा गुनाहगार,
तू ही बता मेरी सजा क्या है ?

मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें

Monday, August 6, 2012

कैसे तेरी तारीफ लिखूं ...

ऑंखें तेरी झरना सी,
खुशियाँ उनमे बहती हो जैसे,
सूरज लालिमा को तरसे,
लाली लबों में बसी हो जैसे !
माथे पर शीतल किरणे झलकती है,
चंद्रप्रभा हो जैसे,
केश तुम्हारे काले घने बलखाती है,
नागिन हो जैसे !
स्वाभाव आकर्षक है,
फूल कोई गुलाब का हो जैसे !
खुबसूरत हो, हाँ खुबसूरत हो,
खिला हुआ कमल हो जैसे !
कैसे तेरी तारीफ लिखूं,
शब्द कम हो गए हो जैसे !
मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें

Sunday, August 5, 2012

खुदा से कैसे तुझे मांग लूँ ...


उन "वादियों" और नजदीकियों का कैसे अहसास दूँ ,
  घबराना क्यूँ, मैं दूर होकर भी तेरे पास हूँ !
तेरी "छुवन" और "पवित्र मन" से सज्ञान हूँ ,
तेरे "दर्द और तडफ" से अब नहीं अनजान हूँ !
कैसे "अनसुलझे" सवालों का जवाब दूँ ,
क्यूँ मैं तुझे झूठे ख्वाब दूँ !
कैसे करूँ "इबादत" खुदा से कैसे तुझे मांग लूँ ,
जिया नहीं जाता तेरे बिन कैसे अब अपनी "जान" दूँ !

मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा : मन की बातें ...