Sunday, April 14, 2013

सिर्फ तुमसे है ..

मेरी मुहब्बत, मेरे ख्वाब, मेरा प्यार, इकरार 
सिर्फ तुम से है ..

स्वीकार कर लो अब कि मेरी दुनिया, संसार 
सिर्फ तुम से है ..

किसी और से कैसे पूछें मेरे सवालों के जवाब,
 सिर्फ तुम से है ..


तुमको मालूम नहीं जुदाई का दर्द, मेरी तड़फ मेरी फरियाद
सिर्फ तुम से है ..


तुम साथ हो तो जिंदगी जन्नत है, मेरे रिश्ते कि  बुनियाद
सिर्फ तुम से है ..


गर टूट जाऊँ,बिखर जाऊँ तो समेंट लेना मुझे मेरी पहचान  
सिर्फ तुम से है ..

मेरे खुदा सिर्फ इतना बता दे उससे कि मेरी जान, मेरी शान
सिर्फ तुम से है..

तुम बिन जी ना सकूँगा मेरे दिल की साँस, मेरी धड़कन
सिर्फ तुम से है ..


मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें 




8 comments:

  1. बेहतरीन रचना

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  2. मोहब्बत तुमसे है...तो हर डोर जुडी तुमसे है....

    बहुत सुन्दर!!

    अनु

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  3. कोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |

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  5. बहुत सुंदर शब्द रचना

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  6. बहुत सुंदर शब्द रचना

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