Wednesday, April 24, 2013

झूठी थी वो... झूठी थी वो



बेवफा वो हुई तो कोई बात नही 
उसके दिल में तो कोई जज्बात नही

झूठ के बूते उसके मकान की नीव टिकी है 
जो अनमोल थी , वो  बेमोल में बिकी है

झूठी थी वो, तड़फना उसका लाजमी है 
उसने देखा न आईना जो रुख पे बेवफ़ाई लिखी है

तन का सुख तो बाज़ारों मे भी बिकता है, 
मन का चोर उसके चेहरे पे भी दिखता है ,

वो  ऊँचे महलों की रानी तो बनती  है  
फिर क्यूँ, बाजारू लोगों से उसकी छनती है 


मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें 

Sunday, April 14, 2013

सिर्फ तुमसे है ..

मेरी मुहब्बत, मेरे ख्वाब, मेरा प्यार, इकरार 
सिर्फ तुम से है ..

स्वीकार कर लो अब कि मेरी दुनिया, संसार 
सिर्फ तुम से है ..

किसी और से कैसे पूछें मेरे सवालों के जवाब,
 सिर्फ तुम से है ..


तुमको मालूम नहीं जुदाई का दर्द, मेरी तड़फ मेरी फरियाद
सिर्फ तुम से है ..


तुम साथ हो तो जिंदगी जन्नत है, मेरे रिश्ते कि  बुनियाद
सिर्फ तुम से है ..


गर टूट जाऊँ,बिखर जाऊँ तो समेंट लेना मुझे मेरी पहचान  
सिर्फ तुम से है ..

मेरे खुदा सिर्फ इतना बता दे उससे कि मेरी जान, मेरी शान
सिर्फ तुम से है..

तुम बिन जी ना सकूँगा मेरे दिल की साँस, मेरी धड़कन
सिर्फ तुम से है ..


मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें 




Wednesday, April 3, 2013

कोई बात नहीं !!!


पहले तो रोज दीदार करती थी,
छिप-छिपकर आँखों से वार करती थी ,
अब यह हाल है कि,
ख़त से भी मुलाक़ात नहीं,
रातों के ख्वाब सुनाती थीं,
मुझे तुम दिन में,
उससे कहने को तुम्हे
क्या कोई बात नहीं !

मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें