Wednesday, June 19, 2019

कहाँ रहते हो आज कल...

कहाँ रहते हो आज कल
तुम्हारी यादें भी रुस्व्वा हो गयी है 

कहाँ रहते हो आज कल
होंठों की मुस्कान भी नाराज़ हो गयी है 

कहाँ रहते हो आज कल
लिखा नहीं जाता कलम बेवफ़ा हो गयी है

कहाँ रहते हो आज कल
कहाँ रहते हो आज कल

तुझ संग ...

साथ मत छोड़ना चाहे तुम 
मुझपे सितम जो कर लेना

खुशियों की तमन्ना है दिल मे
बाद मातम जो कर लेना

खोलो किवाड़ अरमानों के अब
क़सम हो जो कर लेना

तुझ संग सुखों की बारिश है
बाद हो जो गम कर लेना


अतुलित प्रेम...

मेरा अतुलित प्रेम
तेरा अद्भुत स्पर्श 
मेरा विचित्र संयम
तेरा सचित्र संयम 
मेरा भोलापन मन
तेरा शातिरानापन 
मेरा विरह की वेदना
तेरा दिल को भेदना

लाल जोड़े में...

लाल जोड़े में चल दी
तू मुझे छोड़कर,
मेरे नसीबों-मुकद्दर से
यूँ मुंह मोडकर
हासिल कर सकता था 
अपने रिवाज़ो को तोड़कर
पर मंजूर ना था तुझे पाना
तेरे घरवालों का दिल तोड़कर