क्या फ़ायदा हुआ
मगरूर-ऐ-हुस्न का
बस जलता हुआ
धुआँ है बुझते चिराग का
जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है!!
भूल जाये तु मुझे ऐसा तो
कभी होगा नही
तुझे मैं भूल जाऊं ऐसा तो
तुम होने नही दोगी
तमन्ना है गर मौत आये तो
तेरी बाहों में आये
वादा करो तुम वर्ना ऐसे तो
सोने नही दोगी