Sunday, November 3, 2019

साफ़ बच गए...

साफ़ बच गए हम तो,
तुमसे रुबरु होने से
साफ़ बच गए हम तो,
तेरे नशीली आँखो में डूबने से
साफ़ बच गए हम तो,
तेरे हसीन ख्वाब पिरोने से
साफ़ बच गए हम तो,
तेरे बुने हुये ज़ालो से
साफ़ बच गए हम तो,
तेरे रहम-ओ-खुदाई से
साफ़ बच गए हम तो,
तेरे दर्द-ऐ- जुदाई से

Saturday, November 2, 2019

तुम चाहो तो...


तुम चाहो तो - हर मसले सुलझ जाये
तुम चाहो तो - रेगिस्तान मे फ़ूल खिल जाये
तुम चाहो तो - मेरे लिखे गज़ल बन जाये
तुम चाहो तो - दिल को सुकुन मिल जाये
तुम चाहो तो - सरिता सागर बन जाये
तुम चाहो तो - मृत्यु जीवन बना जाये
तुम चाहो तो - तुम्हारी चाहत मिट ना पाये
तुम चाहो तो - इक मुलाक़ात हो जाये
तुम चाहो तो - हम क्या से क्या बन जाये

छुपते फ़िरते रहे...

छुपते फ़िरते रहे  
अपनी बेवाफ़ाई को लेकर
छुपते हो रहनुमाई को लेकर 
छुपाते हो जस्बात दर्द लेकर 
निभाते हो रस्मे आशिक़ी लेकर
दुर हो जाते हो फ़िर इश्क़ देकर

लौट चले हम...

लौट चले हम उन्ही पुरानी राहों में
खो गए हम अनसुलझे सवालो में
लौट चले हम पुराने ख्वाबो में
उन हसीन मुस्काती गालों में
लौट चले हम अनभूले गलियों में
वशिभूत हो गए कोमल कलियों में
लौट चले हम दोस्तों के पुराने अड्डे में
भूल गए दर्द हम तकलीफ़ गये गड्ढे में

ज़रा सी आहट भी ना हुई...


बिछुड गए तुम मेरे दुनिया से
और ज़रा सी आहट भी ना हुई
ज़ख्म दिये तुमने इतने गहरे
और ज़रा सी आहट भी ना हुई
टुकड़े टुकड़े कर दिये अरमान मेरे
और ज़रा सी आहट भी ना हुई
बिखर गए हैं सारे सपने अपने
और ज़रा सी आहट भी ना हुई
टूटा सबर-ऐ-बान्ध झटके से
और ज़रा सी आहट भी ना हुई
बन गये तुम ज़लिम-ऐ-सितमगर
और ज़रा सी आहट भी ना हुई

Sunday, October 20, 2019

कुछ देर पहले...

कुछ देर पहले तुमको
देखा था ख्यालो में तुम ही तो थी
हाँ, कुछ देर पहले ही तो
तुम्हारी जुल्फ़े लहराई तो थी
हाँ, कुछ देर पहले ही तो
पिताम्बर साड़ी में चमचमाता चेहरा
हाँ, गुज़रा तो था मेरे करीब से
हाँ, कुछ देर पहले ही तो
नजरें क्षण भर टकराई तो थी
हाँ, तब स्नेहवश गालों पे
गुलाबी रंग शरमाई तो थी
हाँ, कुछ देर पहले ही तो


हो गुमशुदा...

हो गुमशुदा अब
ना ख़बर है ना कोई पाती
दिल तेरी यादो से अब
बन बैठा है जस्बाती
तुम सखीयों संग बैठ 
ना जाने क्या गोठियाती
चले आओ पुरानी यादें
अब गीत मिलन की है गाती


हमारी तरह क्या...

हमारी तरह क्या
तुम भी इन्तिज़ार में रहती हो
हमारी तरह विरह की पीडा भी
क्या सहती हो
हमारी तरह क्या सखियो संग
बातें दिल की कहती हो
जीने मरने की कशिश में
क्या हमारी तरह बहती हो
हमारी तरह क्या
तुम भी दर्द-ऐ-दास्तान लिखती हो
हमारी तरह क्या
तुम भी जिंदगी से सिखती हो


Tuesday, September 24, 2019

तुम क्या जानो...

फ़ल्सफ़ा-ऐ-जुदाई
तुम क्या जानो
मुहब्बत-ऐ-खुदाई 
तुम क्या जानो
ईश्क़-ऐ-रहनुमाई
तुम क्या जानो
दिल-ऐ-तड़फ़ाई
तुम क्या जानो
रिश्ता-ऐ-सच्चाई



Saturday, September 14, 2019

जिंदगी गुलज़ार है...

जिंदगी गुलज़ार है मुझको तुमसे प्यार है
जिंदगी गुलज़ार है तु ही एक मेरा यार है
जिंदगी गुलज़ार है तेरी बेरुखी मेरे ऊपर वार है
जिंदगी गुलज़ार है तुझपे दिल ज़ार-ज़ार है
जिंदगी गुलज़ार है यही जिंदगी का सार है
जिंदगी गुलज़ार है तभी जीवन साकार है


कोरा कागज़ पूछ रहा है...

कब खेलोगे रंग बिरंगे होली
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब लिखेंगे प्रेम की बोली
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब छलकेंगे शब्दों की स्याही
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब विराजेंगे मुझ पर अक्षर शाही
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब बयाँ होंगे अपने बिछुड़न कहानी
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब आएंगे लिख खबर मिलन सुहानी
हाँ... कोरा कागज़ पूछ रहा है

तेरे आँखो की बारी है...

सुन लो अगर गहराई है
तेरे डबडबाई आंखों में
तो आजा डूबा दे मुझे
समंदर तो हार बैठा है 
अब तेरे आँखो की बारी है
डूब जाऊ उसमे मेरी तैयारी है


Wednesday, August 21, 2019

एक याद...

एक याद तेरी थी,
     एक बात मेरी है !
एक साथ तेरा था,
     एक जुदाई मेरी है !
एक किस्मत तेरी थी,
     एक नसीब मेरा है !
एक लम्हा मेरा था,
     एक जिंदगी तेरी है !
एक खुशी तेरी थी,
     एक गम मेरा है !


बचाकर रख लिया जाये...

बचाकर रख लिया जाये 
तुम्हारी अल्पकालीन यादो को
बचाकर रख लिया जाये
तुम्हारे उन बेहतरीन बातों को
बचाकर रख लिया जाये
उन चंद मिलन कि घड़ीयों को
बचाकर रख लिया जाये
उन सर्द दिनों कि गर्म सांसो को
बचाकर रख लिया जाये
डिशपोजल पे भेजे संदेशो को
बचाकर रख लिया जाये
उन छलकते आंखों के आन्शु को
बचाकर रख लिया जाये
बचाकर रख लिया जाये


Tuesday, July 9, 2019

कोई वजह तो होगी...


कोई वजह तो होगी तेरी बेवफ़ाई का
कोई वजह तो होगी तेरी रुस्वाई का
कोई वजह तो होगी तेरी तन्हाई का
कोई वजह तो होगी तेरी बेरुखवाई का
कोई वजह तो होगी तेरी रहनुमाई का

जीवन कोई खेल नही...

जीवन कोई खेल नही
तेरा मेरा कोई मेल नही

जीवन कोई खेल नही
इसमे जो फ़न्से तो बेल नही

जीवन कोई खेल नही
बेवफ़ाई पर कोई जेल नही

जीवन कोई खेल नही
दिल का सौदा करना सेल नही


तुझको रश्क मुझसे आज भी है...


दिल नहीं मानता कि 
तु धोकेबाज़ भी है
लगता तुझको इश्क़
मुझसे आज भी है
तेरे हर अल्फ़ाज़ मे
दर्द और साज़ भी है
लगता तुझको रश्क
मुझसे आज भी है

दिल नहीं लग रहा...


दिल नहीं लग रहा
तेरी कोई ख़बर नहीं अब तलक
दिल नहीं लग रहा
तेरी ही यादें है जमी से फ़लक
दिल नहीं लग रहा
तेरी सुरत नज़र नहीं अब तलक 
दिल नहीं लग रहा
आजा दिखला अब अपनी झलक

तुम भी चुप रहे...


अश्क़ आंखों से रिश्ते रहे और
तुम भी चुप रहे
दर्द दिल मे होता रहा और
तुम भी चुप रहे
जुदाई होती रही हमारी और
तुम भी चुप रहे
इश्क़ बढ़ता रहा दर्मियान और
तुम भी चुप रहे
तडफ़ता रहा तेरी झलक पाने और
तुम भी चुप रहे

तुम्हारा ना हो पाया...

वो इश्क़ किस काम का
वो जिन्दगी किस काम का
जो तुम्हारा ना हो पाया


जो तुम्हारा ना हो पाया
वो वेदना किस काम का
वो भेदना किस काम का
जो तुम्हारा ना हो पाया

वो सुहानी खुशबू...


तेरे जिस्म कि वो सुहानी खुशबू
अब तलक मेरे साँसो में बसी है
तेरे लबों कि वो लालिम
अब तलक मेरे आँखो में बसी है
तेरे वो खनकती हँसी खिलखिलाना
मेरे कानो में सजी है
तेरे वो धड़कते दिल कि साज़
अब तलक मेरे दिल में धड़क रही है


पलको में आबाद आज भी है...

आज भी तेरे हाँथ बने चाय का इन्तिज़ार है
तेरे अपनेपन वाले साँथ का इन्तिज़ार आज भी है
आज भी यकिनन तु भी तरसती है
हमारे वो लम्हे जो पलको में आबाद आज भी है


Wednesday, June 19, 2019

कहाँ रहते हो आज कल...

कहाँ रहते हो आज कल
तुम्हारी यादें भी रुस्व्वा हो गयी है 

कहाँ रहते हो आज कल
होंठों की मुस्कान भी नाराज़ हो गयी है 

कहाँ रहते हो आज कल
लिखा नहीं जाता कलम बेवफ़ा हो गयी है

कहाँ रहते हो आज कल
कहाँ रहते हो आज कल

तुझ संग ...

साथ मत छोड़ना चाहे तुम 
मुझपे सितम जो कर लेना

खुशियों की तमन्ना है दिल मे
बाद मातम जो कर लेना

खोलो किवाड़ अरमानों के अब
क़सम हो जो कर लेना

तुझ संग सुखों की बारिश है
बाद हो जो गम कर लेना


अतुलित प्रेम...

मेरा अतुलित प्रेम
तेरा अद्भुत स्पर्श 
मेरा विचित्र संयम
तेरा सचित्र संयम 
मेरा भोलापन मन
तेरा शातिरानापन 
मेरा विरह की वेदना
तेरा दिल को भेदना

लाल जोड़े में...

लाल जोड़े में चल दी
तू मुझे छोड़कर,
मेरे नसीबों-मुकद्दर से
यूँ मुंह मोडकर
हासिल कर सकता था 
अपने रिवाज़ो को तोड़कर
पर मंजूर ना था तुझे पाना
तेरे घरवालों का दिल तोड़कर

Sunday, April 28, 2019

नदी के दो किनारे हम...

नदी के दो किनारे हम...
तुम किसी की और तुम्हारे हम

नदी के दो किनारे हम...
तुम दिल और धड़कन हम

नदी के दो किनारे हम...
तुम इश्क़ और जूनून हम

नदी के दो किनारे हम...
बेवफ़ा तुम और वफ़ा के सहारे हम

चुपचाप गुज़र जाओ...

चुपचाप गुज़र जाओ, तुम अखियाँ मिलाते
चुपचाप गुज़र जाओ, अपनी खुश्बू बिखेरते
चुपचाप गुज़र जाओ, धड़कनो से ताल मिलाते
चुपचाप गुज़र जाओ, तुम मद्धम मुस्काते
चुपचाप गुज़र जाओ, अपना दर्द बयाँ करते
चुपचाप गुज़र जाओ, फिर कब गुज़रोगे बताते
चुपचाप गुज़र जाओ, जमाने से नज़रे चुराते

नही लिख सके ...

नही लिख सके 
पाती प्रीत की तुमको ना लिख सके प्रेम पत्र
तुमसे जुदा करने चलाये लोगों ने अनेकों शस्त्र

नही लिख सके
गीत प्रेम के तुम्हें ना शब्द संवेदनशील
मरने के बाद ताबूत में बैरी ठोकेंगे अनेकों कील

नही लिख सके
तुम्हारे विरह की वेदना ना अपने दर्द के आलाप
तुमको भड़काने लोग करते रहे अनेकों क्रियाकलाप


Friday, April 5, 2019

जरुरत से ज्यादा...

जरुरत से ज्यादा
इश्क़ होता है बुरा
जरुरत से ज्यादा
मुहब्बत होती है सजा

जरुरत से ज्यादा
हसरत होता है बुरा
जरुरत से ज्यादा
वफ़ा में मिलती है सज़ा

Thursday, April 4, 2019

हमारे दरमियाँ ...

हमारे दरमियाँ - ये कुंवा ये खाई
हमारे दरमियाँ - इश्क़ में जग हंसाई
हमारे दरमियाँ - अमीरी गरीबी आई
हमारे दरमियाँ - तड़फ बेवफ़ाई
हमारे दरमियाँ - ये दर्द रुस्वाईयां
हमारे दरमियाँ - मुहब्बत जिंदगीयां
हमारे दरमियाँ - ख़ुदा की बन्दगियां

एक मौका सभी को मिलता है

एक मौका सभी को मिलता है
इश्क़ को पाने के लिए
एक मौका सभी को मिलता है
इश्क़ में जीने मर जाने के लिए
एक मौका सभी को मिलता है
घर संसार बसाने के लिए
एक मौका सभी को मिलता है
टूट के बिखर जाने के लिए
एक मौका सभी को मिलता है
गीत गाने गुनगुनाने के लिए
एक मौका सभी को मिलता है
उलझे रिश्ते सुलझाने के लिए
एक मौका सभी को मिलता है
ग़म दुख मिटाने के लिए


Tuesday, March 26, 2019

पहचान लेंगे तुमको हवाओं में ...


छूप जाओ कहीं भी 
तुम इस जहाँ में
धड़कनों की गूंज 
ना छूपा पाओगी
ख़ुद को खुद से 
भूलना है मुमकिन 
मगर पहचान लेंगे 
तुमको हवाओं में 
बहती खुशबुओं से 

दुआ भी करते हैं ...


वो खफा भी रहते है
और वफा भी करते है 
इस तरह वो प्यार को 
बयाँ भी करते है 
जाने कैसी नाराजगी है
उनकि हमसे कि
हमे खोना भी चाहते है 
और पाने की दुआ भी करते हैं

उम्दा अंदाज तेरा अलविदा कहने का...


उम्दा अंदाज था तेरा 
मुझे अलविदा कहने का
कुछ कहा भी नहीं 
और कुछ सुना भी नहीं
इक तरफ़ा तबाह हुए 
तेरी मोहब्बत में
कुछ खोया भी नहीं 
और कुछ पाया भी नहीं

बिखरी हुई जुल्फों ...


क्यूँ उलझी हुई है लटें मेरी जुल्फों के,
बिखरी हुई जुल्फों को कभी संवारा भी करो 
मिट जाएंगे तेरी एक झलक पाने के लिए,
कभी दिल से हमको पुकारो भी करो 

कुछ बात तो है तुम में


कुछ बात तो है तुम में कि
ये नज़र तुमसे हटती नहीं
सच्ची दोस्ती में लाख तकलीफें हो
मगर हमारी दोस्ती घटती नहीं

नज़रो से दूर ...


तू खुदा तो नही
खुदा का  नूर है 
दिल की करीब होकर
नज़रो से दूर है

तन्हा सा मुसाफिर ...


तन्हा रास्ता है, 
तन्हा तन्हा सा मुसाफिर हूँ
भीड़ से भरा रास्ता है.
फिर भी अकेला गुज़र रहा हूँ

दुल्हन बनू मैं तेरी ...


खुशियाँ घेर रखी है, जीवन को
देख तुम्हे मुस्काने की ख्वाहिश है

सजाओ मांग मेरी, फरमाइश है
दुल्हन बनू मैं तेरी, ख्वाहिश है

कठिन रास्ते हो, परवाह नहीं है
हमराह बनू, संग-संग चलूँ ख्वाहिश है

तुम्हारी जुदाई कैसे सह सकुंगी,
दासी बनू चरणों की ख्वाहिश है

सितमगर ...


नींद नहीं आँखों में
तेरी यादो का साया है,
तेरी जुदाई ने हरपल
मुझे तडफाया है !
तसल्ली है दिल को
सपने में जो तू आया है,
सितमगर हर लम्हा 
तुने मुझे सिर्फ तडफाया है !

अभी भी कुछ नही बिगड़ा है ...


तुम्हे मुहब्बत सी हो गई है, सोच लो
अभी भी कुछ नही बिगड़ा है ...

तुम मेरी यादों में खो गयी हो, जाग जाओ 
अभी भी कुछ नही बिगड़ा है ...

जान लुटाने को बेताब हो क्यूँ,  जान लो
अभी भी कुछ नही बिगड़ा है ...

दुश्मन बना लिया ज़माने को तुमने, सोच लो
अभी भी कुछ नही बिगड़ा है ...

वो भी क्या दिन थे...


वो भी क्या दिन थे ना 
जब दोस्तों के साथ फ़िरा करते थे
वो भी क्या दिन थे ना 
जब 1 रूपया में 2 समोसे खाया करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब तेरी एक झलक पाने के लिए घंटों खड़ा रहा करते थे
वो भी क्या दिन थे ना 
जब तुम्हारे घर के पचिसो चक्कर लगाया करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब जम कर हम होली खेला करते थे
वो भी क्या दिन थे न
जब ईद में घर जा जा कर मिला करते थे
वो भी क्या दिन थे न
जब तुम और हम सिर्फ़ हम हुआ करते थे

कमरे को शिकायत...

कि मैं उसको समय कम देता हूँ
मेरे कमरे को शिकायत रहती है
कि मैं किसी की यादों में खो जाता हूँ
मेरे कमरे को शिकायत रहती है
कि अब मैं उसको संवारता नही हूँ

एक कदम की दूरी पर...


एक कदम की दूरी पर है, तुम्हारा प्यारा सा घर
एक कदम की दूरी पर है , ठहरा है तेरा बेइंतिहा प्यार
एक कदम की दूरी पर है, तड़फता है तुम्हारा इंतिज़ार
एक कदम की दूरी पर है, अपना जग और संसार
एक कदम की दूरी पर है, खड़ी है मौत मेरे यार

तुमसे मिलकर....



तुमसे मिलकर वो पल
मेरे अनमोल हो गए
तुमसे मिलकर वो दिन
मेरे लिए खास हो गए
तुमसे मिलकर वो साथ
मेरे खूबसूरत अहसास हो गए
तुमसे मिलकर वो जुदाई
मेरी जिंदगी के संताप हो गए

Monday, March 25, 2019

जिंदगी नाराज़ ना हो...

जिंदगी नाराज़ ना हो सामने तो आओ
दिल लगाया था मैने और सज़ा तुम पाओ  

जिंदगी नाराज़ ना हो सामने आओ
वफ़ा तो मैने कि थी और दगा तुम पाओ

जिंदगी नाराज़ ना हो सामने आओ
दर्द तो मैने सहा है और मजे तुम पाओ

जिंदगी नाराज़ ना हो सामने आओ
जिंदगी नाराज़ ना हो सामने आओ 

Monday, March 11, 2019

अब के बरस ...


"जुदाई" अनंत झेल चूका हूँ, "मिलन" होगा

अब के बरस ...

"खो" गई हो लौट के "आना" होगा तुमको

अब के बरस ...

"बुझी" सी जिंदगी में दीपक "जलाना" होगा

अब के बरस ...

"सुख" गयी भूमि है, "भीगाना" है जमकर

अब के बरस ...

"बंजर" ह्रदय में फुल "खिलाना" है

अब के बरस ...

"दुखी" है मन मेरा, "खुशियाँ" दोगी तुम

अब के बरस ...

सुनी है "मांग" तेरी उसे "सजाऊंगा" मैं

अब के बरस ...

क्यों "दूर" हो तुम,  "दूर"  रह पाउँगा

अब के बरस ...

विरह की घड़ियाँ ...


अब तेरे विरह की घड़ियाँ
नासूर हुए जा रहा है
बीता वक़्त लौट कर नहीं
आएगा दिल गा रहा है

फलक तक खुशियाँ जुटाऊँ मैं तेरे लिए



क्यूँ गुमसुम गुमसुम सी सूरत तेरी है

मरहब्बा खूबसूरती की ऐसी मूरत तू है


क्यूँ चेहरे की मासूमियत गमगीन सी है

तेरे उदासी का सबब संगीन जैसी सी है


फरियाद है खुदा सेतू है मेरे लिए

फलक तक खुशियाँ जुटाऊँ मैं तेरे लिए