तुझे भूल पाना मुमकिन नहीं,
तुम भूल जाओ तो हक़ है तुमको!
जुदाई की कल्पना भी संभव नहीं मेरे लिए,
तुम छोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मैंने सांसो में बसा लिया है,
मेरी सांसों को तोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
नैनों में बस गए हो अब तो,
निगाहें चुरा जाओ तो हक़ है तुमको!
मिलने की हसरत है तुमसे,
जुदा हो जाओ तो हक़ है तुमको!
दिल की धडकन बन गई हो,
धडकनों को तोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मिलता सुकून तुमसे है,
तडपता छोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मैंने तो मुहब्बत की है,
सितमगर बन जाओ तो हक़ है तुमको!
मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा : मन की बातें
तुम भूल जाओ तो हक़ है तुमको!
जुदाई की कल्पना भी संभव नहीं मेरे लिए,
तुम छोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मैंने सांसो में बसा लिया है,
मेरी सांसों को तोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
नैनों में बस गए हो अब तो,
निगाहें चुरा जाओ तो हक़ है तुमको!
मिलने की हसरत है तुमसे,
जुदा हो जाओ तो हक़ है तुमको!
दिल की धडकन बन गई हो,
धडकनों को तोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मिलता सुकून तुमसे है,
तडपता छोड़ जाओ तो हक़ है तुमको!
मैंने तो मुहब्बत की है,
सितमगर बन जाओ तो हक़ है तुमको!
मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा : मन की बातें