जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है!!
Tuesday, March 26, 2019
पहचान लेंगे तुमको हवाओं में ...
उम्दा अंदाज तेरा अलविदा कहने का...
वो भी क्या दिन थे...
वो भी क्या दिन थे ना
जब दोस्तों के साथ फ़िरा करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब 1 रूपया में 2 समोसे खाया करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब तेरी एक झलक पाने के लिए घंटों खड़ा रहा करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब तुम्हारे घर के पचिसो चक्कर लगाया करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब जम कर हम होली खेला करते थे
वो भी क्या दिन थे न
जब ईद में घर जा जा कर मिला करते थे
वो भी क्या दिन थे न
जब तुम और हम सिर्फ़ हम हुआ करते थे
कमरे को शिकायत...
कि मैं उसको समय कम देता हूँ
मेरे कमरे को शिकायत रहती है
कि मैं किसी की यादों में खो जाता हूँ
मेरे कमरे को शिकायत रहती है
कि अब मैं उसको संवारता नही हूँ
मेरे कमरे को शिकायत रहती है
कि मैं किसी की यादों में खो जाता हूँ
मेरे कमरे को शिकायत रहती है
कि अब मैं उसको संवारता नही हूँ
Monday, March 25, 2019
Monday, March 11, 2019
अब के बरस ...
"जुदाई" अनंत झेल चूका हूँ, "मिलन" होगा
अब के बरस ...
"खो" गई हो लौट के "आना" होगा तुमको
अब के बरस ...
"बुझी" सी जिंदगी में दीपक "जलाना" होगा
अब के बरस ...
"सुख" गयी भूमि है, "भीगाना" है जमकर
अब के बरस ...
"बंजर" ह्रदय में फुल "खिलाना" है
अब के बरस ...
"दुखी" है मन मेरा, "खुशियाँ" दोगी तुम
अब के बरस ...
सुनी है "मांग" तेरी उसे "सजाऊंगा" मैं
अब के बरस ...
क्यों "दूर" हो तुम, "दूर" न रह पाउँगा
अब के बरस ...
फलक तक खुशियाँ जुटाऊँ मैं तेरे लिए
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