Saturday, September 15, 2012

कुछ बात तो है "तुम" में..


कुछ बात तो है "तुम" में
कि ये "नज़र" तुमसे हटती नहीं
सच्ची "दोस्ती" में लाख "तकलीफें" हो
दोस्ती घटती नहीं
मैं "घायल" हो जाऊं
ऐसा कोई "तीर" ही नहीं
नज़रों से कोई घायल करदे
ऐसी "मेरी" तकदीर नहीं

मुकेश गिरि गोस्वामी "हृदयगाथा" : मन की बातें

7 comments:

  1. Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया. संगीता जी

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  2. बहुत सुन्दर मुक्तक

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  3. शास्त्री जी नमस्कार
    चर्चा पर चर्चा हेतु प्रविष्टि उपलब्ध करने के लिए सादर व आत्मीय धन्यवाद ...

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