जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है!
किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है!!
Saturday, September 15, 2012
कुछ बात तो है "तुम" में..
कुछ बात तो है "तुम" में कि ये "नज़र" तुमसे हटती नहीं सच्ची "दोस्ती" में लाख "तकलीफें" हो दोस्ती घटती नहीं मैं "घायल" हो जाऊं ऐसा कोई "तीर" ही नहीं नज़रों से कोई घायल करदे
सुन्दर मुक्तक...
ReplyDelete:-)
बहुत बहुत शुक्रिया रीना जी
Delete:):) बहुत खूब
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया. संगीता जी
Deleteबहुत सुन्दर मुक्तक
ReplyDeleteThank you very much.
Deleteशास्त्री जी नमस्कार
ReplyDeleteचर्चा पर चर्चा हेतु प्रविष्टि उपलब्ध करने के लिए सादर व आत्मीय धन्यवाद ...