Tuesday, March 26, 2019

वो भी क्या दिन थे...


वो भी क्या दिन थे ना 
जब दोस्तों के साथ फ़िरा करते थे
वो भी क्या दिन थे ना 
जब 1 रूपया में 2 समोसे खाया करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब तेरी एक झलक पाने के लिए घंटों खड़ा रहा करते थे
वो भी क्या दिन थे ना 
जब तुम्हारे घर के पचिसो चक्कर लगाया करते थे
वो भी क्या दिन थे ना
जब जम कर हम होली खेला करते थे
वो भी क्या दिन थे न
जब ईद में घर जा जा कर मिला करते थे
वो भी क्या दिन थे न
जब तुम और हम सिर्फ़ हम हुआ करते थे

7 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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  2. बहुत खूब...
    वो भी क्या दिन थे..

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  3. पुरानी बातें ... मगर याद आती हैं और अब कितना कुछ बदल चूका है ...
    अच्छी रचना ...

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  4. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  5. बढ़िया। गुजरा हुआ कल ऐसे ही याद आता है।

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