तेरी यादों को ले गुजरते हैं, चौड़ी सड़कों से,
फिर क्यूँ सड़कें संकरी सी लगती है !
कमरे को सजाया है फूलों-पत्तों से,
फिर भी न जाने क्यूँ वीरानी से लगती है !
वाह ! क्या रंग बिरंगी है दुनिया तेरी "......",
बिछड़ के तुमसे जीवन क्यूँ फीकी सी लगती है !
साथ तेरा जब-जब होता है,
दुनिया सारी जीत गयी सी लगती है !
जब भी तन्हाई होती है ,
तब मेरी हस्ती मिट गयी सी लगती है !
आँखों में तेरी कशिश है वो,
कि ये दिल खींचीं-खीचीं सी लगती है !
मैं तो ठहरा बुद्धू अनाड़ी,
तेरी सोहबत से कुछ-कुछ सीखी सी लगती है !
दर्द भरा है सीने में लेकिन,
जब करीब होती हो तब बेफिक्री सी लगती है
फिर क्यूँ सड़कें संकरी सी लगती है !
कमरे को सजाया है फूलों-पत्तों से,
फिर भी न जाने क्यूँ वीरानी से लगती है !
वाह ! क्या रंग बिरंगी है दुनिया तेरी "......",
बिछड़ के तुमसे जीवन क्यूँ फीकी सी लगती है !
साथ तेरा जब-जब होता है,
दुनिया सारी जीत गयी सी लगती है !
जब भी तन्हाई होती है ,
तब मेरी हस्ती मिट गयी सी लगती है !
आँखों में तेरी कशिश है वो,
कि ये दिल खींचीं-खीचीं सी लगती है !
मैं तो ठहरा बुद्धू अनाड़ी,
तेरी सोहबत से कुछ-कुछ सीखी सी लगती है !
दर्द भरा है सीने में लेकिन,
जब करीब होती हो तब बेफिक्री सी लगती है
bahut khub!!
ReplyDeletepahlee baar aaya yahan...achchha laga:)
thank you sinha ji
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