जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है!!
क्या फ़ायदा हुआ
मगरूर-ऐ-हुस्न का
बस जलता हुआ
धुआँ है बुझते चिराग का
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