नही लिख सके
पाती प्रीत की तुमको ना लिख सके प्रेम पत्र
तुमसे जुदा करने चलाये लोगों ने अनेकों शस्त्र
नही लिख सके
गीत प्रेम के तुम्हें ना शब्द संवेदनशील
मरने के बाद ताबूत में बैरी ठोकेंगे अनेकों कील
नही लिख सके
तुम्हारे विरह की वेदना ना अपने दर्द के आलाप
तुमको भड़काने लोग करते रहे अनेकों क्रियाकलाप
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-04-2019) को "छल-बल के हथियार" (चर्चा अंक-3321) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Thanks...
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut shukriya
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