चौपाई किसके लिए लिखे अब भाई ।
दोहे पढ़ने वालों की आकाल जो आई ।।
लिखते थे जिसके यादों रहनुमाई में होके तन्हा ।
भूल बैठे हैं कद्रदा हमारे, अपने जमीर करके नन्हा ।।
बैठे हैं हम आपकी यादों के थपेड़े झेलते हुए।
आप थकी नही हमारे जस्बातों से खेलते हुए।।
मुकेश गिरि गोस्वामी
हृदयगाथा मन की बातें
Hridayagatha : Man ki Baten हृदयगाथा : मन की बातें...
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