मुझे तो आदत सी हो गयी है दर्द सहने कि,
लेकिन तेरी ख़ामोशी का दर्द ना सह पाउँगा !
नसीब में कौन है ? ये तो वक्त ही बताएगा,
मिल गई तो ठीक वर्ना गीत जुदाई का गाऊंगा !
तुझसे मिलना है बाकि इस ख़ुशी पे जिन्दा हूँ,
ग़र मुझसे जुदा हो गयी तू सच में मर जाऊंगा !
तुझसे दूर हूँ ये सोच के ना घबराना,
मर भी गया तो मिलने तुझसे मैं आऊंगा !
तुझसे दूर हूँ ये सोच के ना घबराना,
ReplyDeleteमर भी गया तो मिलने तुझसे मैं आऊंगा !
.............ला-जवाब" जबर्दस्त!!
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत….मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com