कब खेलोगे रंग बिरंगे होली
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब लिखेंगे प्रेम की बोली
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब छलकेंगे शब्दों की स्याही
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब विराजेंगे मुझ पर अक्षर शाही
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब बयाँ होंगे अपने बिछुड़न कहानी
कोरा कागज़ पूछ रहा है
कब आएंगे लिख खबर मिलन सुहानी
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