हमारी तरह क्या
तुम भी इन्तिज़ार में रहती हो
हमारी तरह विरह की पीडा भी
क्या सहती हो
हमारी तरह क्या सखियो संग
बातें दिल की कहती हो
जीने मरने की कशिश में
क्या हमारी तरह बहती हो
हमारी तरह क्या
तुम भी दर्द-ऐ-दास्तान लिखती हो
हमारी तरह क्या
तुम भी जिंदगी से सिखती हो
मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
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