लौट चले हम उन्ही पुरानी राहों में
खो गए हम अनसुलझे सवालो में
लौट चले हम पुराने ख्वाबो में
उन हसीन मुस्काती गालों में
लौट चले हम अनभूले गलियों में
वशिभूत हो गए कोमल कलियों में
लौट चले हम दोस्तों के पुराने अड्डे में
भूल गए दर्द हम तकलीफ़ गये गड्ढे में
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