Thursday, August 25, 2011

मेरा गाँधी महान "आत्म मंथन"



मोहन दास करमचन्द गाँधी, उर्फ़ महात्मा गाँधी, उर्फ़ बापू एवं राष्टपिता, ये सब नाम उनके हैं जिसे समस्त हिंदुस्तान के लोग जानते हैं और जो नहीं जानते होंगे शायद वो हिन्दुस्तानी नहीं होंगे..! गाँधी जी को राष्टपिता कहा जाता था मैंने बचपन से पढ़ा था मुझे इस शब्द में आपत्ति लगती थी व्यक्ति कितना भी महान हो राष्ट पिता कैसे कहा जा सकता है..? भारत के इतिहास में बहुत बड़े बड़े महापुरुष हुये लेकिन उनमे से सिर्फ गाँधी जी को राष्टपिता कहा गया ! 16 अगस्त से अन्ना हजारे ने अभियान चलाया शुरुवात में देश भर के लोग उनके इस आन्दोलन को हलके में ले रहे थे ...लेकिन अभी दिखिए कौन उन्हें सपोर्ट नहीं कर रह है.....सरकार के कुछ जातिवादी लोग ने सरकार के कहने से इस आन्दोलन को मजहब के खिलाफ बताया....जबकि सत्य ये है कि किसी भी व्यक्ति के लिय धर्म से बड़ा देश होता है (ये सभी धर्म ग्रंथों में स्वसिद्ध है) उसके बाद भी समय समय पर चंदफायदे के कारण कुछ लोग समाज के एक वर्ग को धर्मान्धता सिखाते हुये देश द्रोही बनाने का प्रयास करते हैं.... लेकिन सबसे ख़ुशी कि बात ये हैं कि हमारे देश के सभी जाति धर्म के लोग अब इस तरह के बातों को नज़र अंदाज़ करते हैं बल्कि इस बार मैंने अख़बारों में ये पढ़ा कि इस तरह के बात करने वाले धर्म गुरुओं को विरोध झेलना पढ़ा है !
मैं गाँधी जी के मुद्दे में आता हूँ मैंने कुछ दिन पूर्व एक बात पोस्ट कि थी कि आजादी हमें अहिंसा से नहीं मिली हैं मैं उसमे अभी भी कायम हूँ लेकिन उसमे एक बात मैं जोड़ना चाहूँगा कि आज़ादी में गाँधी जी के भारत छोडो आन्दोलन का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था इस आन्दोलन ने देश के सभी वर्ग को आजादी मांगने /हासिल करने कि प्रेरणा दी ! उनके इस क्रांति से लोगों में जज्स्बा आया (पहले मैं इस तर्क से सहमत नहीं था) मैंने अपनी जीवन में कोई भी देशव्यापी आन्दोलन नहीं देखा था पहली बार श्री अन्ना हजारे जी द्वारा किये जा रहे आन्दोलन को मैंने देख रह हूँ, वो व्यक्ति जिनके प्रेरणा और आदर्श मोहनदास करमचंद गांधी है, सिर्फ उनके "अहिंसा परमो धर्मः" कि मान्यता/कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं तो पुरे देश कि जनता खड़ी हो गयी आज स्थित ये है कि अन्ना जी के एक एक शब्द लोगों को गीता/कुरान के उपदेश/सन्देश लग रहे हैं, इतनी ताकत है गाँधी जी के उन शब्दों और मान्यताओं में आज मुझे पूरा संपूर्ण विश्वास हो गया है ! गाँधी जी ने कभी भी हिदू और मुसलमान को अलग नहीं समझा वो हमेशा मानते थे कि दोनों एक ही कोख से पैदा हुये हैं और दोनों कि माता भारतमाता है, गाँधी जी ऐसे भीष्म पितामह थे जो हमेशा कौरव-पांडव दोनों के पक्ष में खड़े होते रहे यही कारण है कि लोग उन्हें अपने पिता तुल्य समझते हैं और उन्हें बापू कहते हैं, उनकी इसी महानता के कारण समस्त लोग उन्हें राष्टपिता कहते हैं और वो इसके सच्चे हक़दार भी हैं !

एक बात और जोड़ना चाहूँगा कि अन्नाजी के समर्थन में अब खुलके साथ देने का समय आ गया है, ये लड़ाई किसी धर्म के लिए नहीं है , किसी पार्टी के लिए नहीं है ये लड़ाई मानवता के लिए है, यहाँ रोज-रोज पल-पल भ्रष्टाचारियों द्वारा मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है शोषण किया जा रह है इसका खत्मा बहुत जरुरी है ये ऐसी समस्या है जो आतंकवाद और नक्सल वाद से भी गंभीर हैं !
एक बार फिर भारतवासियों ने दिखा दिया कि हम अहिंसा के पुजारी हैं इससे हमें नपुंसक ना समझे ! भारत के वीर ऐसे हैं जो बिना गोली चलाये और खून बहाए भी बड़ी-बड़ी लड़ाई जीते हैं और जीतेंगे...
वन्दे मातरम .....

Saturday, August 20, 2011

तू भी अन्ना मैं भी अन्ना ...





क्रांति पैसे से नहीं आती,

सच्चे विश्वास से आती है !

विधेयक खुद को बचाने बनाई जाती है,

देश को डुबाने के लिए बनाई जाती है !

फिर भी देश भक्ति की गीत जनता गाती है,

ऐसी कोशिश सरकार को क्यूँ नहीं भाती है !

भ्रष्टाचार को क्यूँ सर पर चढ़ाया जाता है,

सच्चाई के आगे तो देवता भी झुक जाता हैं !

Sunday, August 14, 2011

विस्फोटक विचार ->->


आप सभी को सादर अभिवादन .....स्वतंत्रता दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें !
अब आते हैं मुख्य विषय पर सुप्रसिद्ध समाज सेवी जगत विख्यात श्री अन्ना हजारे जी के द्वारा सरकार को दिया गया तारीख 16 अगस्त नजदीक आ गया है...अन्ना एवं सहयोगियों ने पूर्व ही घोषणा कर दी है कि उल्लेखित तारीख को आज़ादी कि दूसरी लड़ाई प्रारंभ होगी, क्या देश इस समय इसके लिए तैयार है ? क्या हम सब तैयार हैं ?.....खैर क्या हममे भ्रष्टाचार खत्म करने कि सोच पैदा हो सकी है..? क्या अभी भी हम सभी स्व-स्वार्थ को छोड़ पाए हैं..? क्या अभी भी सिर्फ हमारी मानसिकता अपने बच्चो कि शिक्षा, नौकरी, तरक्की, आराम कि जिंदगी सोचती है, भले ही बहुत से लोग घुट-घुट के जी रहे हों ?..बेशक हम सभी लोगों कि मदद नहीं कर सकते ना ही सभी को दौलतमंद बना सकते लेकिन क्या हम मनुष्य होने कि नाते उनसे मनुष्यता पुर्वक व्यवहार नहीं कर सकते ? बिलकुल कर सकते हैं !
वास्तव में जो भ्रष्टाचार का नागा नाच (नंगा नाच) चल रह है वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं, इसके शिकार गरीब अनपढ़ तो है ही जो अपने आपको बुद्ध जीवी और हाई-प्रोफाइल समझते हैं वो भी इस से ग्रस्त हैं..बड़ी-बड़ी बीमारी का इलाज़ मौजूद है, भ्रष्टाचार का इलाज़ क्यूँ संभव नहीं है ..? यदि हम सभी भारतवासी सामूहिक प्रयास करें तो ये संभव है... यदि हम कुछ दिनों के लिए एक साथ होकर भ्रष्टाचार का विरोध शांति पूर्वक करें तो ये बहुत आसानी से हो सकता है.. एक दिन / या कुछ दिन के लिए सभी हिन्दुस्तानी यदि काम बंद कर दें (स्वास्थ्यकर्मी और आपातकाल सेवाकर्मियों को छोड़कर) तो सरकार अपनी मनमानी छोड़कर सही रास्ते में आ जाएगी, लेकिन यहाँ भी मुख्य बात ये है क्या हम सभी देशवासी अन्ना और उनके साथी या ये कहें देश भक्तों कि टोली का साथ देंगे...? यदि इसका जवाब हाँ हैं तो देश के आने वाले नस्ल आपके आभारी रहेंगे और यदि नहीं तो दूसरों का छोडिये आपके खुद के बच्चों के लिए आप क्या भविष्य छोड़ने वाले हैं इस पर विचार करियेगा !
उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप अपनी समर्थ शक्ति के हिसाब से सच्ची स्वतंत्रता के लड़ाई में शामिल होंगे !
आप सभी को कोटिः कोटिः धन्यवाद
विनीत : भ्रष्टाचार से त्रस्त भारतीय

Thursday, August 11, 2011

मैं आऊंगा....



मुझे तो आदत सी हो गयी है दर्द सहने कि,

लेकिन तेरी ख़ामोशी का दर्द ना सह पाउँगा !

नसीब में कौन है ? ये तो वक्त ही बताएगा,
मिल गई तो ठीक वर्ना गीत जुदाई का गाऊंगा !

तुझसे मिलना है बाकि इस ख़ुशी पे जिन्दा हूँ,
ग़र मुझसे जुदा हो गयी तू सच में मर जाऊंगा !

तुझसे दूर हूँ ये सोच के ना घबराना,
मर भी गया तो मिलने तुझसे मैं आऊंगा !

Monday, August 8, 2011

< मंजिलें सफ़र >


एक बार जो,
हमारे साथ हो जाता है
बिछुड़ने से,
हमसे वो घबराता है
साथ हमारे गीत जिंदगी के
गुनगुनाता है
बस यूँ ही मंजिलें सफ़र में
बढ़ते जाता है