जब लिखने बैठता हूँ, तस्वीर तेरी आँखों में छा जाती है! किताबों में दफ़न फूलों से अब तलक तेरी खुशबु आती है!!
बहुत ही बढ़िया सर!---- कल 21/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
भाई मुकेश गिरी जी,सादर अभिवादन. आपके ब्लॉग में आके अच्छा लगा...अच्छा लिख रहे हैं आप... साधना जारी रहे....“मांग मत आराम के दो पल और बन सूरज दमकता चल”सादर
thank you SM saheb
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
thank you
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDelete----
कल 21/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
भाई मुकेश गिरी जी,
ReplyDeleteसादर अभिवादन.
आपके ब्लॉग में आके अच्छा लगा...
अच्छा लिख रहे हैं आप... साधना जारी रहे....
“मांग मत आराम के दो पल
और बन सूरज दमकता चल”
सादर
thank you SM saheb
Deleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletethank you
Delete