अजीब बंदिशें....
तेरी तारीफ मैं करूँ कैसे,
अजीब बंदिशें लगा रखी है !
जिंदगी की तलाश किन राहों में करूँ,
मौत की बिसात फैला रखी है !
दम घुट जायेगा क्या इस तरहा,
जहरीली हवा जो बहा रही है !
तेरी आँखों की के इशारों को समझूँ .
या लडखडाते लबों को जो दास्ताँ कह रही है !
मुकेश "हृदयगाथा"
bahot khub humesha ki tarah .
ReplyDeleteaapke comment hamesha utprerak hain mere liye
ReplyDeletevery nice............
ReplyDelete