किसी की तनहाइयों में नहीं दिखता !
तुझको कैसे बता दूँ की तुझसे प्यार है,
इसी बात पे तो तुझ संग तकरार है !
मैंने तन्हाइयों में दर्द को समेटा है,
मीलों दूर होते भी करीब से तुझको देखा है !
मैं बेबसी का इजहार कैसे करूँ,
तुझसे इस तरहा प्यार कैसे करूँ !
मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें
मुकेश गिरि गोस्वामी : हृदयगाथा मन की बातें
बेबसी में प्यार नहीं हो सकता..
ReplyDeleteभावप्रद रचना...
रिना जी, आपको पसंद आया जिसके लिए मैं आभारी हूँ,,
Deleteसादर धन्यवाद
अभिव्यक्ति की अकुलाहट ...!!
ReplyDeleteसुंदर रचना ...धीमे धीमे संगीत सुनते हुए ....बहुत अच्छी लगी ...!!
शुभकामनायें...
अनुपमा जी सादर नमस्कार....
Deleteआपके अनुपम वक्तव्य से ह्रदय आनंदित हो गया...
धन्यवाद !!!
शास्त्री जी, सादर अभिवादन ..
ReplyDeleteचर्चा मंच पर चर्चा करने के लिए अग्रिम धन्यवाद...
बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteहबीब जी, नमस्कार
Deleteमेरा प्रयास आपको पसंद आया जिसके लिए शुक्रिया...
आगे भी आपके वक्तव्य से प्रेरणा मिलते रहेगी, इसी आशा के साथ धन्यवाद...
बहुत सुन्दर शब्दों में अपने प्यार का इजहार बहुत अच्छी लगी पोस्ट बधाई
ReplyDeleteराजेश कुमारी जी, नमस्कार
Deleteबहुत-बहुत शुक्रिया... हमेशा आपके स्वागत को उत्सुक रहेंगे ब्लॉग पर आते रहिएगा.. धन्यवाद...
1 no hai ji
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