ऑंखें तेरी झरना सी,
खुशियाँ उनमे बहती हो जैसे,
सूरज लालिमा को तरसे,
लाली लबों में बसी हो जैसे !
माथे पर शीतल किरणे झलकती है,
चंद्रप्रभा हो जैसे,
केश तुम्हारे काले घने बलखाती है,
नागिन हो जैसे !
स्वाभाव आकर्षक है,
फूल कोई गुलाब का हो जैसे !
खुबसूरत हो, हाँ खुबसूरत हो,
खिला हुआ कमल हो जैसे !
कैसे तेरी तारीफ लिखूं,
शब्द कम हो गए हो जैसे !
लाली लबों में बसी हो जैसे !
माथे पर शीतल किरणे झलकती है,
चंद्रप्रभा हो जैसे,
केश तुम्हारे काले घने बलखाती है,
नागिन हो जैसे !
स्वाभाव आकर्षक है,
फूल कोई गुलाब का हो जैसे !
खुबसूरत हो, हाँ खुबसूरत हो,
खिला हुआ कमल हो जैसे !
कैसे तेरी तारीफ लिखूं,
शब्द कम हो गए हो जैसे !
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteThank you sir......
Deletesamvednao se bhari prastuti
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