कभी हमने भी
"ख्वाब" देखे थे
कि तेरा
"हाथ" पकड़ कर
हम भी उस
"पगडण्डी" से
गुजरेंगे और
अपनी जिंदगी
"मुक्कमल" कर लेंगे
मगर वो ख्वाब
"चकनाचूर" हो गए
हम उन
"पगडंडियों"
से दूर हो गए
तेरी "चाहतों" से
दूर हो गए
तेरे बिना
"जीने" के लिए
मजबूर हो गए
जब भी उन
"पगडंडियों"
का ख्याल दिल में
"संजोते" हैं
हम अपनी
"अधूरी"
कहानी पर रोते हैं
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