बेवफा वो हुई तो कोई बात नही
उसके दिल में तो कोई जज्बात नही
झूठ के बूते उसके मकान की नीव टिकी है
जो अनमोल थी , वो बेमोल में बिकी है
झूठी थी वो, तड़फना उसका लाजमी है
उसने देखा न आईना जो रुख पे बेवफ़ाई लिखी है
तन का सुख तो बाज़ारों मे भी बिकता है,
मन का चोर उसके चेहरे पे भी दिखता है ,
वो ऊँचे महलों की रानी तो बनती है
सुन्दर सृजन ,उम्दा रचना
ReplyDeleteThank you sir
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