"जुदाई" अनंत झेल चूका हूँ, "मिलन" होगा
अब के बरस ...
"खो" गई हो लौट के "आना" होगा तुमको
अब के बरस ...
"बुझी" सी जिंदगी में दीपक "जलाना" होगा
अब के बरस ...
"सुख" गयी भूमि है, "भीगाना" है जमकर
अब के बरस ...
"बंजर" ह्रदय में फुल "खिलाना" है
अब के बरस ...
"दुखी" है मन मेरा, "खुशियाँ" दोगी तुम
अब के बरस ...
सुनी है "मांग" तेरी उसे "सजाऊंगा" मैं
अब के बरस ...
क्यों "दूर" हो तुम, "दूर" न रह पाउँगा
अब के बरस ...
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
सादर धन्यवाद. .
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